सोमवार, 14 सितंबर 2009

आशा भोंसले।

मोहनी सुर सोहनी आशा भोंसले।
प्रवाहिनी सुर सरिता आशा भोंसले।।

कंठ कुसुमित मधुर विकसित स्वर गुंजनमय।
गीत ग़ज़ल भजन छंद गायन सिंगार मय।
वास मिठास कंठ सदा आशा भोंसले।।

संगीत फिल्म-सुगम जगत गायकी मधुमय।
हिय होय नहिं तृप्त सुनके कला गुनमय।
स्वर मिल्लका बिंदास आशा भोंसले।।

प्रख्यात संगीतकार किये नव प्रयोग।
खिल के महके सभी गीत जो कि संयोग।
जादू भरी आवाज़ आशा भोंसले।।

शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

काली घटा जल बरसाये दुधिया।

काली घटा जल बरसाये दुधिया।
हँसे ताल झरने मौज करे नदिया।।

रिमझिम-रिमझिम सावन भादों गाये।
धरती की देखो हरियाली भाये।
पवन मंद-मंद बहे मुस्काये बगिया।।

मत पूछो बिजली कड़क चमक जाये।
देख यही दिल की धड़कन बढ़ जाये।
हँसे है सन्नाटा हुई दूर निंदिया।।

पड़ती फुहार खूब जियरा लुभाये।
बदली पल भर में उमड़-घुमड़ जाये।
महक छोड़-छोड़ के बहे पुरवइया।।

खुशी-खुशी सबसे हो रही मुलाक़ात।।

नेह की बाती जली मुस्कायी रात।
दीप जगमगाये सारी-सारी रात।।

रिमझिम फुहार गई वो दूर देश में।
आ गई है ऋतु शरद शीतल भेष में।
पवन मंद-मंद बहे सारी-सारी रात।।

दीपों के संग जलते सभी ही विकार।
जगमग-जगमग देखो लगे है संसार।
मेल-जोल सुन्दर सारी-सारी रात।।

शहर गाँव घर आँगन द्वार-द्वार में।
फुलझड़ियाँ अब नहीं किसी इंतज़ार में।
पल-पल उमंग बढ़े सारी-सारी रात।।

भूलते नहीं बनती ये मोहक रात।
होकर अंधेरी लगे ये उजली रात।
खुशी-खुशी सबसे हो रही मुलाक़ात।।

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

प्यारी सबमें हिन्दी।

दिशा-दिशाओं दूर-दूर तक, प्यारा हिन्दुस्तान।
मैं हिन्दी, भाषा मेरी हिन्दी, मेरा हिन्दुस्तान।।

मात-पिता, गुरु-बंधु बोले, प्यारी सबमें हिन्दी।
भारत माँ के माथे की, जैसे मोहक बिन्दी।
सरल मधुर लुभावनी, जिसकी है ऊँची शान।।

राम, श्याम, मनोहर, दर्शन जैसे प्यारे नाम ।
शर्मा, वर्मा, बासु, खत्राी, गुप्ता जैसे उपनाम ।
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता हैं, भारत की पहचान।।

गंगा, यमुना, नर्मदा, कृष्णा, सतलज, गोदावरी।
अरावली, सतपुड़ा, हिमालय-पर्वत सर्वोपरी ।
मैहर पावागढ़, श्रृँगेरी जैसे कई स्थान ।।

हिंदुस्ताँ की धरती पे अमन ही बरसे।

हिंदुस्ताँ की धरती पे अमन ही बरसे।
मुस्कुराये हर जिंदगी कोई भी न तरसे।।

बड़ी ही खूबसूरत फिज़ा हर दिशायें।
सुना रहीं तराने जहाँ भर हवायें।
हर एक अंजुमन में मनायें सब जलसे।।

बाग़बाँ हो ज़िन्दगी लबों पे हँसी हो।
जिधर नज़र घुमायें, खुशी ही खुशी हो।
इन्सानियत की बस्ती बसे हर तरफ से।।

खुदा करे हिफाज़त सभी की ये मिन्नत।
हिन्दुस्ताँ जहाँ में जैसे कि मानो जन्नत।
महफूज़ हो जायें सभी हर तरह से।।

रविवार, 9 अगस्त 2009

बाग हमारा है



हम नन्हें मुन्ने माली हैं ये बाग हमारा है
अंशलाल पंद्रे
हम नन्हें मुन्ने माली हैं ये बाग हमारा है
सबसे अच्छी फुलवारी हिन्दुस्तान हमारा है

हाथो में लेकर कुदाल खेतो को हम जाते
सूरज की पहली किरन से रोज नहाते
श्रम की पूजा करने में विश्वास हमारा है
काश्मीर आसाम से लेकर कन्या कुमारी
दिशा दिशाओ दूर दूर पावन धरा हमारी
धरती के हर कण कण पे अधिकार हमारा है
गंगा यमुना नर्मदा ताप्ती हैं यहां की नदियां
सागर झींले झरने उपजायें मन में खुशियां
ऐसा मोहक प्यारा भारत वर्ष हमारा है
रंग बिरंगे फूल खिले आभा न्यारी न्यारी
दुनिया भर महक रही खुश्बू प्यारी प्यारी
खुश्बू रहेगी बरकरार दावा हमारा है
ॠतुओ का वरदान मिला हर तरफ हरियाली
फूल फलों से लदी हुई हर पेड़ो की डाली
वन उपवन से आच्छादित ये देश हमारा है

अंशलाल पंद्रे

हे गुरुदेव करो स्वीकार

हे गुरुदेव करो स्वीकार
अंश लाल पंद्रे

]
हे गुरुदेव करो स्वीकार
गुरु वंदन है मेरा संसार
जीवन में मैने है खोया
रखने योग्य कुछ न संजोया
गुरु तुम मेरा करो उद्धार
हे गुरुदेव करो स्वीकार
मैने व्यर्थ ही समय गंवाया
समय गंवा करके पछताया
अब गुरु पद रज ही आधार
हे गुरुदेव करो स्वीकार
निर्बल रहकर बना अभिमानी
समझ रहा खुद को ही ज्ञानी
ये सब दूर करो विकार
हे गुरुदेव करो स्वीकार


अंश लाल पंद्रे

हे दिव्य सच्चिदानंद सांई हरि



हे दिव्य सच्चिदानंद सांई हरि
अंशलाल पंद्रे


हे दिव्य सच्चिदानंद सांई हरि
हे दिव्य अमृतृनंद सांई हरि

राम रहीम गुरु कृृ्ण करीम
दीन दुखी जनजन के हकीम
हे ब्रह्म आत्मानंद सांई हरि
हे दिव्य सच्चिदानंद सांई हरि

वेद पुरान बाइबिल कुरान
अध्यात्म शिरोमणि सांई सुजान
देवज्ञ ज्ञानानंद सांई हरि
हे दिव्य सच्चिदानंद सांई हरि


सांई सदगुरु अंतरयामी
सागर दया के मंगल स्वामी
श्रीमंत हृदयानंद साई हरि
हे दिव्य सच्चिदानंद सांई हरि


करुणानिधान कल्याणु कृपालु
दीनानाथ दयामय दयालु
श्री संत परमानंद सांई हरि
हे दिव्य सच्चिदानंद सांई हरि

अंशलाल पंद्रे

शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

तेरी जय जय जननी भारत माता

जननी भारत माता......
तेरी जय जय ,तेरी जय जय
तेरी जय जय ,तेरी जय जय
रोज हैं खिलते गोद में तेरी , फूल हजारों ऐसे
अकबर, गांधी, भगत, जवाहर चांद सितारों जैसे
चांद सितारों जैसे

जननी भारत माता......
चाहे धर्म कोई भी हो ,हैं सब भाई भाई
मां भारत की हैं संताने , है सब में तरुणाई
है सब में तरुणाई
जननी भारत माता......
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम की आभा है न्यारी
भिन्न भिन्न भाषा औ प्रांतो की शोभा है प्यारी
की शोभा है प्यारी

जननी भारत माता.....
गंगा यमुना ब्रह्मपुत्र और कावेरी का पानी
पी हम पानी वाले करते दुश्मन पानी पानी
दुश्मन पानी पानी
जननी भारत माता......
-अंशलाल पंद्रे

बुधवार, 29 जुलाई 2009

नर्मदे हर हर हर नर्मदे



नर्मदे हर हर हर नर्मदे
अंशलाल पंद्रे
नर्मदे हर हर हर नर्मदे

मध्ये
गंगे हर नर्मदे
अमरकंटक प्रकट्य सलिला
भड़ौच सागरमय सलिला
नर्मदे हर ...
मैकल सुता रेवा दिव्या
जल रूप हे देवी धन्या
नर्मदे हर ...
जन जन कल्याणी सुखजन्या
संपूर्ण जगतमय पूजन्या
नर्मदे हर ...
कंकड़ हर शंकर नर्मदेश्वर
ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर
नर्मदे हर ...
माहात्म्य नर्मदा प्रदक्षिणा
सर्व सिद्धि दायिनि मोक्षणा
नर्मदे हर ...

भगवान श्री चित्रगुप्त


भगवान श्री चित्रगुप्त का मंदिर खजुराहो

भगवान श्री चित्रगुप्त
भगवान श्री चित्रगुप्त हे
जगनाथ प्रभु चित्रगुप्त हे
प्रभु कृपा बुद्धि बल जागृत
आराधक बनें सुसंस्कृत
ज्योतिर्मय चित्रगुप्त हे
लेख काव्य कला दाता
जय सिद्धि प्रसिद्धि प्रदाता
श्री अक्षर ब्रह्म चित्रगुप्त हे

अनादि आदि महाशक्ति पुंज
ज्ञान विज्ञान दिव्यानंद कुंज
कलमेश्वर चित्रगुप्त हे

सुदृष्टि प्रभु की हो सब पर
बढ़े मेल जोल परस्पर
कृपा निधान चित्रगुप्त हे
रचनाकार अंशलाल पंद्रे






गुरुवार, 16 जुलाई 2009

डॉ.विजय तिवारी की 'किसलय के काव्य सुमन " का समीक्षात्मक गीत

डॉ विजय तिवारी "किसलय" जबलपुर द्बारा रचित "किसलय के काव्य सुमन" की ८४ कविताओं के ३३ शीर्षकों को लेकर मैंने उक्त कृति की काव्यात्मक विवेचना की है, जिसमें निम्न शीर्षकों को शामिल किया गया हैः-
१ मानवता, २ मान, ३ संकल्प, ४ शुभचिन्तक, ५जीवन के पथ पर, ६ सृष्टि संचालक, ७ परहित धर्म, ८ सबके मन होंगे आनंद, ९ सफलता की सीढ़ी, १० जीवन के पल, ११ सीख, १२ क्रांतिवीर, १३ श्रम-पूजा, १४ कर्म साधक, १५ बंधु-भाव, १६ प्रगति-शिखर, १७ लक्ष्य, १८ गुण-दोष टटोल, १९ मातृभूमि, २० विश्व का ताज़, २१ स्वर्णिम वसुन्धरा, २२ पुष्प, २३ मन से मन का मिलन, २४ सुनहरे सपने, २५ बिन सजना के कुछ न भाये, २६ लहरों पर लहरें, २७ फलदायक, २८ भावना, २९ जिन्दगी, ३० उत्कर्ष, ३१ स्मृति, ३२ नन्ही परियाँ, ३३ नदी नाव और नाविक।

(डॉ विजय तिवारी "किसलय")


किसलय के काव्य सुमन - सृजन गीत


किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद
शब्द सहज उपजा दें अमृतानद

मानवता, मान, संकल्प, शुभचिन्तक
जीवन के पथ पर सृष्टि संचालक
परहित धर्म, सबके मन होंगे आनंद
किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद


सफलता की सीढ़ी,जीवन के पल सीख
क्रांतिवीर, श्रम-पूजा से लोपित भीख
कर्म साधक, बंधु-भाव चेतनानंद
किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद


प्रगति-शिखर लक्ष्य हित गुण-दोष टटोल
मातृभूमि, विश्व का ताज़ अनमोल
स्वर्णिम वसुन्धरा, पुष्प उपवनानंद
किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद


मन से मन का मिलन, सुनहरे सपने
बिन सजना के कुछ न भायें गहने
लहरों पर लहरें पावन प्रेमानंद
किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद


फलदायक भावना, जिन्दगी उत्कर्ष
स्मृति, नन्ही परियाँ, हर्ष ही हर्ष
नदी नाव और नाविक स्वजनानंद
किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद


- अंशलाल पन्द्रे, जबलपुर


शनिवार, 11 जुलाई 2009

गणेश स्तुति

साथियों,

आज मैं अपने ब्लॉग "सुर गुंजन " में पहली पोस्ट के रूप में " गणेश स्तुति " आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।
उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी :-
- अंशलाल पन्द्रे , जबलपुर

स्वागतम्

ब्लॉगर बंधुओ
नमस्कार

मैंने प्रथम बार इस ब्लॉग की दुनिया
में प्रवेश किया है ,

आशा है आप सभी आत्मीयता बनाए रखेंगे।
- अंशलाल पन्द्रे
जबलपुर
मध्य प्रदेश (भारत )