शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

तेरी जय जय जननी भारत माता

जननी भारत माता......
तेरी जय जय ,तेरी जय जय
तेरी जय जय ,तेरी जय जय
रोज हैं खिलते गोद में तेरी , फूल हजारों ऐसे
अकबर, गांधी, भगत, जवाहर चांद सितारों जैसे
चांद सितारों जैसे

जननी भारत माता......
चाहे धर्म कोई भी हो ,हैं सब भाई भाई
मां भारत की हैं संताने , है सब में तरुणाई
है सब में तरुणाई
जननी भारत माता......
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम की आभा है न्यारी
भिन्न भिन्न भाषा औ प्रांतो की शोभा है प्यारी
की शोभा है प्यारी

जननी भारत माता.....
गंगा यमुना ब्रह्मपुत्र और कावेरी का पानी
पी हम पानी वाले करते दुश्मन पानी पानी
दुश्मन पानी पानी
जननी भारत माता......
-अंशलाल पंद्रे

बुधवार, 29 जुलाई 2009

नर्मदे हर हर हर नर्मदे



नर्मदे हर हर हर नर्मदे
अंशलाल पंद्रे
नर्मदे हर हर हर नर्मदे

मध्ये
गंगे हर नर्मदे
अमरकंटक प्रकट्य सलिला
भड़ौच सागरमय सलिला
नर्मदे हर ...
मैकल सुता रेवा दिव्या
जल रूप हे देवी धन्या
नर्मदे हर ...
जन जन कल्याणी सुखजन्या
संपूर्ण जगतमय पूजन्या
नर्मदे हर ...
कंकड़ हर शंकर नर्मदेश्वर
ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर
नर्मदे हर ...
माहात्म्य नर्मदा प्रदक्षिणा
सर्व सिद्धि दायिनि मोक्षणा
नर्मदे हर ...

भगवान श्री चित्रगुप्त


भगवान श्री चित्रगुप्त का मंदिर खजुराहो

भगवान श्री चित्रगुप्त
भगवान श्री चित्रगुप्त हे
जगनाथ प्रभु चित्रगुप्त हे
प्रभु कृपा बुद्धि बल जागृत
आराधक बनें सुसंस्कृत
ज्योतिर्मय चित्रगुप्त हे
लेख काव्य कला दाता
जय सिद्धि प्रसिद्धि प्रदाता
श्री अक्षर ब्रह्म चित्रगुप्त हे

अनादि आदि महाशक्ति पुंज
ज्ञान विज्ञान दिव्यानंद कुंज
कलमेश्वर चित्रगुप्त हे

सुदृष्टि प्रभु की हो सब पर
बढ़े मेल जोल परस्पर
कृपा निधान चित्रगुप्त हे
रचनाकार अंशलाल पंद्रे






गुरुवार, 16 जुलाई 2009

डॉ.विजय तिवारी की 'किसलय के काव्य सुमन " का समीक्षात्मक गीत

डॉ विजय तिवारी "किसलय" जबलपुर द्बारा रचित "किसलय के काव्य सुमन" की ८४ कविताओं के ३३ शीर्षकों को लेकर मैंने उक्त कृति की काव्यात्मक विवेचना की है, जिसमें निम्न शीर्षकों को शामिल किया गया हैः-
१ मानवता, २ मान, ३ संकल्प, ४ शुभचिन्तक, ५जीवन के पथ पर, ६ सृष्टि संचालक, ७ परहित धर्म, ८ सबके मन होंगे आनंद, ९ सफलता की सीढ़ी, १० जीवन के पल, ११ सीख, १२ क्रांतिवीर, १३ श्रम-पूजा, १४ कर्म साधक, १५ बंधु-भाव, १६ प्रगति-शिखर, १७ लक्ष्य, १८ गुण-दोष टटोल, १९ मातृभूमि, २० विश्व का ताज़, २१ स्वर्णिम वसुन्धरा, २२ पुष्प, २३ मन से मन का मिलन, २४ सुनहरे सपने, २५ बिन सजना के कुछ न भाये, २६ लहरों पर लहरें, २७ फलदायक, २८ भावना, २९ जिन्दगी, ३० उत्कर्ष, ३१ स्मृति, ३२ नन्ही परियाँ, ३३ नदी नाव और नाविक।

(डॉ विजय तिवारी "किसलय")


किसलय के काव्य सुमन - सृजन गीत


किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद
शब्द सहज उपजा दें अमृतानद

मानवता, मान, संकल्प, शुभचिन्तक
जीवन के पथ पर सृष्टि संचालक
परहित धर्म, सबके मन होंगे आनंद
किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद


सफलता की सीढ़ी,जीवन के पल सीख
क्रांतिवीर, श्रम-पूजा से लोपित भीख
कर्म साधक, बंधु-भाव चेतनानंद
किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद


प्रगति-शिखर लक्ष्य हित गुण-दोष टटोल
मातृभूमि, विश्व का ताज़ अनमोल
स्वर्णिम वसुन्धरा, पुष्प उपवनानंद
किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद


मन से मन का मिलन, सुनहरे सपने
बिन सजना के कुछ न भायें गहने
लहरों पर लहरें पावन प्रेमानंद
किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद


फलदायक भावना, जिन्दगी उत्कर्ष
स्मृति, नन्ही परियाँ, हर्ष ही हर्ष
नदी नाव और नाविक स्वजनानंद
किसलय के काव्य सुमन आत्मानंद


- अंशलाल पन्द्रे, जबलपुर


शनिवार, 11 जुलाई 2009

गणेश स्तुति

साथियों,

आज मैं अपने ब्लॉग "सुर गुंजन " में पहली पोस्ट के रूप में " गणेश स्तुति " आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।
उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी :-
- अंशलाल पन्द्रे , जबलपुर

स्वागतम्

ब्लॉगर बंधुओ
नमस्कार

मैंने प्रथम बार इस ब्लॉग की दुनिया
में प्रवेश किया है ,

आशा है आप सभी आत्मीयता बनाए रखेंगे।
- अंशलाल पन्द्रे
जबलपुर
मध्य प्रदेश (भारत )