मोहनी सुर सोहनी आशा भोंसले।
प्रवाहिनी सुर सरिता आशा भोंसले।।
कंठ कुसुमित मधुर विकसित स्वर गुंजनमय।
गीत ग़ज़ल भजन छंद गायन सिंगार मय।
वास मिठास कंठ सदा आशा भोंसले।।
संगीत फिल्म-सुगम जगत गायकी मधुमय।
हिय होय नहिं तृप्त सुनके कला गुनमय।
स्वर मिल्लका बिंदास आशा भोंसले।।
प्रख्यात संगीतकार किये नव प्रयोग।
खिल के महके सभी गीत जो कि संयोग।
जादू भरी आवाज़ आशा भोंसले।।
सोमवार, 14 सितंबर 2009
शुक्रवार, 4 सितंबर 2009
काली घटा जल बरसाये दुधिया।
काली घटा जल बरसाये दुधिया।
हँसे ताल झरने मौज करे नदिया।।
रिमझिम-रिमझिम सावन भादों गाये।
धरती की देखो हरियाली भाये।
पवन मंद-मंद बहे मुस्काये बगिया।।
मत पूछो बिजली कड़क चमक जाये।
देख यही दिल की धड़कन बढ़ जाये।
हँसे है सन्नाटा हुई दूर निंदिया।।
पड़ती फुहार खूब जियरा लुभाये।
बदली पल भर में उमड़-घुमड़ जाये।
महक छोड़-छोड़ के बहे पुरवइया।।
हँसे ताल झरने मौज करे नदिया।।
रिमझिम-रिमझिम सावन भादों गाये।
धरती की देखो हरियाली भाये।
पवन मंद-मंद बहे मुस्काये बगिया।।
मत पूछो बिजली कड़क चमक जाये।
देख यही दिल की धड़कन बढ़ जाये।
हँसे है सन्नाटा हुई दूर निंदिया।।
पड़ती फुहार खूब जियरा लुभाये।
बदली पल भर में उमड़-घुमड़ जाये।
महक छोड़-छोड़ के बहे पुरवइया।।
खुशी-खुशी सबसे हो रही मुलाक़ात।।
नेह की बाती जली मुस्कायी रात।
दीप जगमगाये सारी-सारी रात।।
रिमझिम फुहार गई वो दूर देश में।
आ गई है ऋतु शरद शीतल भेष में।
पवन मंद-मंद बहे सारी-सारी रात।।
दीपों के संग जलते सभी ही विकार।
जगमग-जगमग देखो लगे है संसार।
मेल-जोल सुन्दर सारी-सारी रात।।
शहर गाँव घर आँगन द्वार-द्वार में।
फुलझड़ियाँ अब नहीं किसी इंतज़ार में।
पल-पल उमंग बढ़े सारी-सारी रात।।
भूलते नहीं बनती ये मोहक रात।
होकर अंधेरी लगे ये उजली रात।
खुशी-खुशी सबसे हो रही मुलाक़ात।।
दीप जगमगाये सारी-सारी रात।।
रिमझिम फुहार गई वो दूर देश में।
आ गई है ऋतु शरद शीतल भेष में।
पवन मंद-मंद बहे सारी-सारी रात।।
दीपों के संग जलते सभी ही विकार।
जगमग-जगमग देखो लगे है संसार।
मेल-जोल सुन्दर सारी-सारी रात।।
शहर गाँव घर आँगन द्वार-द्वार में।
फुलझड़ियाँ अब नहीं किसी इंतज़ार में।
पल-पल उमंग बढ़े सारी-सारी रात।।
भूलते नहीं बनती ये मोहक रात।
होकर अंधेरी लगे ये उजली रात।
खुशी-खुशी सबसे हो रही मुलाक़ात।।
गुरुवार, 3 सितंबर 2009
प्यारी सबमें हिन्दी।
दिशा-दिशाओं दूर-दूर तक, प्यारा हिन्दुस्तान।
मैं हिन्दी, भाषा मेरी हिन्दी, मेरा हिन्दुस्तान।।
मात-पिता, गुरु-बंधु बोले, प्यारी सबमें हिन्दी।
भारत माँ के माथे की, जैसे मोहक बिन्दी।
सरल मधुर लुभावनी, जिसकी है ऊँची शान।।
राम, श्याम, मनोहर, दर्शन जैसे प्यारे नाम ।
शर्मा, वर्मा, बासु, खत्राी, गुप्ता जैसे उपनाम ।
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता हैं, भारत की पहचान।।
गंगा, यमुना, नर्मदा, कृष्णा, सतलज, गोदावरी।
अरावली, सतपुड़ा, हिमालय-पर्वत सर्वोपरी ।
मैहर पावागढ़, श्रृँगेरी जैसे कई स्थान ।।
मैं हिन्दी, भाषा मेरी हिन्दी, मेरा हिन्दुस्तान।।
मात-पिता, गुरु-बंधु बोले, प्यारी सबमें हिन्दी।
भारत माँ के माथे की, जैसे मोहक बिन्दी।
सरल मधुर लुभावनी, जिसकी है ऊँची शान।।
राम, श्याम, मनोहर, दर्शन जैसे प्यारे नाम ।
शर्मा, वर्मा, बासु, खत्राी, गुप्ता जैसे उपनाम ।
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता हैं, भारत की पहचान।।
गंगा, यमुना, नर्मदा, कृष्णा, सतलज, गोदावरी।
अरावली, सतपुड़ा, हिमालय-पर्वत सर्वोपरी ।
मैहर पावागढ़, श्रृँगेरी जैसे कई स्थान ।।
हिंदुस्ताँ की धरती पे अमन ही बरसे।
हिंदुस्ताँ की धरती पे अमन ही बरसे।
मुस्कुराये हर जिंदगी कोई भी न तरसे।।
बड़ी ही खूबसूरत फिज़ा हर दिशायें।
सुना रहीं तराने जहाँ भर हवायें।
हर एक अंजुमन में मनायें सब जलसे।।
बाग़बाँ हो ज़िन्दगी लबों पे हँसी हो।
जिधर नज़र घुमायें, खुशी ही खुशी हो।
इन्सानियत की बस्ती बसे हर तरफ से।।
खुदा करे हिफाज़त सभी की ये मिन्नत।
हिन्दुस्ताँ जहाँ में जैसे कि मानो जन्नत।
महफूज़ हो जायें सभी हर तरह से।।
मुस्कुराये हर जिंदगी कोई भी न तरसे।।
बड़ी ही खूबसूरत फिज़ा हर दिशायें।
सुना रहीं तराने जहाँ भर हवायें।
हर एक अंजुमन में मनायें सब जलसे।।
बाग़बाँ हो ज़िन्दगी लबों पे हँसी हो।
जिधर नज़र घुमायें, खुशी ही खुशी हो।
इन्सानियत की बस्ती बसे हर तरफ से।।
खुदा करे हिफाज़त सभी की ये मिन्नत।
हिन्दुस्ताँ जहाँ में जैसे कि मानो जन्नत।
महफूज़ हो जायें सभी हर तरह से।।
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