बुधवार, 29 जुलाई 2009

नर्मदे हर हर हर नर्मदे



नर्मदे हर हर हर नर्मदे
अंशलाल पंद्रे
नर्मदे हर हर हर नर्मदे

मध्ये
गंगे हर नर्मदे
अमरकंटक प्रकट्य सलिला
भड़ौच सागरमय सलिला
नर्मदे हर ...
मैकल सुता रेवा दिव्या
जल रूप हे देवी धन्या
नर्मदे हर ...
जन जन कल्याणी सुखजन्या
संपूर्ण जगतमय पूजन्या
नर्मदे हर ...
कंकड़ हर शंकर नर्मदेश्वर
ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर
नर्मदे हर ...
माहात्म्य नर्मदा प्रदक्षिणा
सर्व सिद्धि दायिनि मोक्षणा
नर्मदे हर ...

1 टिप्पणी:

  1. आदरणीय पंद्रे जी
    अभिवंदन
    आपने इतने कम शब्दों में पुण्य सलिला माँ नर्मदा की स्तुति प्रस्तुत की है, निश्चित टूर पर प्रसंशनीय है. हमें उम्मीद है भविष्य में भी अपने सृजन संसार से हम पाठको को अपनी ऐसी ही उच्च कोटि की रचनाओं से सम्प्रक्त करते रहेंगे.
    - विजय

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